Sanvadon Ke prakar संवादों के प्रकार

Sanvadon Ke prakar संवादों के प्रकार

नाट्यशास्त्र में Sanvadon Ke prakar संवादों के प्रकार की विस्तृत जानकारी तो मिलती ही है और इस बात का उल्लेख भी मिलता है कि जनांतिक संभाषण के समय अभिनेता को अपने हाथ त्रिपताक मुद्रा में रखने चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि प्राचीन संस्कृत नाटकों में इस प्रकार के संवाद के समय हाथों को त्रिपताक मुद्रा…

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Abhinay Me Raso Ka Prayog अभिनय मे रसों का प्रयोग

Abhinay Me Raso Ka Prayog अभिनय मे रसों का प्रयोग

अभिनय मे रसों का महत्वपूर्ण स्थान है। अभिनय मे रसों का प्रयोग Abhinay Me Raso Ka Prayog ही अभिनेता के भावों को दर्शक की मन:स्थिति तक पहुचाता है। कलाकार  के  द्वारा  प्रस्तुत  भावों  से  प्रेक्षक की  मानसिक  स्थिति  के  सरलीकरण simplification  होने  से  प्रेक्षक  के  मन  में  उठने  वाले  भावों  को  कलाकार  के  द्वारा प्रस्तुत  भावों …

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Uchcharan Ke Prakar उच्चारण के प्रकार

Uchcharan Ke Prakar उच्चारण के प्रकार

भारत मुनि के अनुसार अभिनय में Uchcharan Ke Prakar उच्चारण के प्रकार को चार तरह का माना गया है 1- उदात्त, 2- अनुदात्त, 3- स्वरित, 4- कंपित। । उदात्त में स्वराघात रहता है। अनुदात्त में स्वर सामान्य रखा जाता है। ध्वनि का विशिष्ट रूप स्वरित और कंपित उच्चारण में मिलता है। हास्य और शृंगार रसों में…

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Sanvad Ki Shailiyan  संवाद की शैलियाँ

Sanvad Ki Shailiyan  संवाद की शैलियाँ

अभिनय सीखने के लिए और एक सफल अभिनेता बनाने के लिए  Sanvad Ki Shailiyan संवाद की शैलियाँ को समझना बहुत जरूरी है । संवादों में शब्द एक ही गति और स्वर से नहीं बोले जाते। भाव और प्रसंग के अनुसार अभिनेता कभी रुकता है, कभी धारा-प्रवाह बोलता चला जाता है और कभी स्वर को तीव्र या…

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Abhinay Alankar अभिनय अलंकार

Abhinay Alankar अभिनय अलंकार

Abhinay Alankar अभिनय अलंकार के अंतर्गत ऐसी आंगिक चेष्टाओं Efforts और व्यवहारों का चित्रण किया गया है जो असहज और अनियंत्रित होते हुए भी दर्शक को पात्र के अभीष्ट भावों और मनःस्थितियों से परिचित करा देते हैं।  जिसे देख  दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाय।स्त्री पात्रों के लिए 10 अलंकार स्वभावज और 7 अलंकार अप्रयास तथा पुरुष पात्रों के लिए 8 स्वाभाविक अलंकार…

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Aaharya Abhinay आहार्य अभिनय

Aaharya Abhinay आहार्य अभिनय

जब अभिनय में पात्र की वेशभूषा और दृश्य सामग्री सभी कुछ कृत्रिम होता है। लेकिन कृत्रिमता को यथार्थता का रूप Aaharya Abhinay आहार्य अभिनय के अंतर्गत दिया जाता है। कृत्रिम को यथार्थ बनाने के लिए अभिनेता जिन उपकरणों को बाहर से आयत या धारण करता है उन्हें आहार्य अभिनय की संज्ञा दी गई है। मंच पर…

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Satvik Abhinay सात्विक अभिनय

Satvik Abhinay सात्विक अभिनय

सात्विक अभिनय Satvik Abhinay का विषय रसशास्त्र से जुड़ा हुआ है। रस नाट्यशास्त्र का एक आधारभूत सिद्धांत है। यही उसका सौंदर्यशास्त्र है। रसानुभूति ही नाट्य प्रयोग की चरम परिणति है। लेखक, अभिनेता और दर्शक तीनों का प्रयोजन रसानुभूति है। यहां विषय रस नहीं, अभिनय है। नाट्यशास्त्र में सात्विक भाव का प्रयोग दो अर्थों में किया गया है-…

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Vachik Abhinay वाचिक अभिनय

Vachik Abhinay वाचिक अभिनय

वाचिक अभिनय के अंतर्गत संवाद, कथन-शैली, भाषा, व्याकरण, छंद, काकु (स्वर का आरोहावरोह), शमन, दीपन और काव्यशास्त्र सभी कुछ आता है और इस Vachik Abhinay का वर्णन नाट्यशास्त्र में मिलता है। लेकिन हम इस अध्याय में अपने को केवल वाक्य-विन्यास, संवाद, शैली तक ही सीमित रखेंगे। जैसा कि सर्वविदित है प्राचीन संस्कृत नाटकों में संवाद…

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Aangik Abhinay आंगिक अभिनय

Aangik Abhinay आंगिक अभिनय

नाट्यशास्त्र में Aangik Abhinay आंगिक अभिनय के अंतर्गत विभिन्न अंगों और प्रत्यंगों की मुद्राओं और गतियों का सूक्ष्म और विस्तृत विवेचन किया गया है। आंगिक अभिनय को इतना अधिक महत्व देने के तीन कारण हैं । 1-  नृत्य को नाट्यकला का ही अंग माना गया है। अंगों की विभिन्न मुद्राएँ नृत्य के लिए भी निर्धारित…

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Acting  Abhinay Kya Hai 

Abhinay Kya Hai अभिनय क्या है

What is Acting ?  Abhinay Kya Hai ? अभिनय केवल रंगमंच,फ़िल्म और टेलीविज़न तक ही सीमित नहीं है, अपने व्यापक अर्थ से सारे वे समस्त कार्यकलाप Acting अभिनय की श्रेणी में आते हैं जो आंतरिक भावों को दूसरों तक पहुँचाते हैं-अभिनीत करते हैं।  अभिनय, भूमिका और सामान्य जीवन… समझने की कोशिश करते हैं कि Abhinay Kya Hai ? आंगिक…

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