Female Monologue for Audition

Female Monologue for Audition

ऑडिशन का मतलब है परीक्षा देना, एक कलाकार को किसी तरह की भूमिका पाने के लिए उस चरित्र के मन मुताबिक अपने अभिनय को प्रस्तुत करना ऑडिशन कहलाता है। ऑडिशन वह प्रक्रिया है जिसमें एक अभिनेता या अभिनेत्री को परखा जाता है कि उसने कितना टैलेंट है वह कितनी अच्छी अभिनेत्री है उसकी अभिनय में कितनी डेफ्त्  है और वह उस करैक्टर को निर्वाह करने में कितना सक्षम है।  Female Monologue for Audition के माध्यम से आप अपने साक्षात्कार की तैयारी कर सकते हैं ।

Audition 1 
हमारा एक घर था जिसमें दस दरवाजे, तीन आंगन और उन सब को जोडती एक छत और हम चार सहेलियां थीं, परिवार के नाम पर मुझे खुद याद नहीं कि उसमें कितने लोग थे, क्योंकि मैनें कभी उन रिश्तों की गिनती नहीं की, सब के सब, जो छोटे थे वो लाडले थे, और जो बड़े थे वो सम्माननीय, उनमें से मेरा घर कौन सा था मुझे नहीं मालूम, जिस घर में नींद ने मुझे अपनी आगोश में लिया वहीं सो गयी, जिस आंगन में भूख लगी वही खाना खा लिया, जब मां की गोद की जरूरत हुयी तो तीन तीन गोद मेरे सामने थीं, उनमें से मेरी अपनी मां की गोद कौन सी है मुझे कभी पता ही ना चला हर थपकी मुझे अपनी मां की थपकी सी लगती थी, सच कहूं तो मुझे तो ये भी नहीं मालूम कि हमारा सबका आपस में रिश्ता क्या है..बस हम चार सहेलियां कभी इस आंगन में खेल रही हैं तो उस आंगन में पढ रहीं हैं, हमें खाना कहां खाना है हमें ये भी पता नहीं था वैसे भी सभी रसोईयों की खुश्बू एक रसोई से दूसरे रसोई तक पहुंच ही जाती थी कभी किसी के यहां अकेले-अकेले कुछ भी बनाकर नहीं खाया गया, फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि दरवाजों पर ताले पड़ गये, तीन आंगन जो कभी एक थे तीन हो गये, हमारी छत जो कभी खत्म ही नहीं होती थी वो सिमट कर जरा सी रह गयी, हमारे रिश्ते, हमारे सम्बन्ध सब टूट कर बिखर गये और अब तो वो सब इस हद तक बिखर गये हैं कि उनको समेंटने के लिये हो सकता है कि हमें ना जाने कितने जन्म लेने पड़ें…।

Audition 2 
आपने अपने बच्चों के भविष्य के लिये कुछ सोचा है कि नहीं, या उसके बारे में भी बाबूजी तय करेंगें, कि उसे क्या करना है, अब ये मत पूछ्ना कि मैं ये सब क्यों पूछ रही हूं, क्योंकि मुझे अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है, पर आपको तो अपने बाबूजी के पीछे-पीछे भागने से फुर्सत मिले तब ना, बस आप जिन्दगी में आज तक अपने बाबूजी की हां में हां मिलाते आये हो और जिन्दगी भर मिलाते रहोगे, जिसने तुमको कायर बना दिया है, डरपोक हो गये हो तुम और सच तो ये है कि उन्होनें तुम्हारी मानसकिता को इस हद तक कुचल दिया है कि तुम जिन्दगी में कभी कोई बड़ा फैसला ले ही नहीं सकते, तुमने अपनी कभी कोई जिम्मेदारी नहीं समझी, हमेशा जिम्मेदारी से डरकर भागते रहे, और इसीलिये बाबू जी के सामने तुम्हारा मुंह नहीं खुलता, और अगर सच कहूं तो उन्होनें तुमको नपुंसक बना दिया है एक ऐसा नपुंसक जिसके बस का कुछ नहीं रह गया है, एक ऐसा नपुंसक जिसकी बाबूजी के सामने नजर भी नहीं उठती, पर मैं उसकी मां हूं और मुझे उसके भविष्य की चिंता है… और मैं कभी भी अपने बच्चों के साथ तुम्हारी मनमानी नहीं करने दूंगी।

Audition 3 
नहीं अब मैं ठीक हूँ… बिलकुल ठीक… हाँ मुझमें उस वख्तक जाने कितनी ताकत आ गई थी ! जब मैं देवी के मन्दिर के पास गई । मैंने अपने मन में सोचा था कि बहुत भयानक जगह होगी। लेकिन वह तो बहुत खुशनुमा जगह थी।वहां जाकर बहुत शांति महसूस कर रही थी. कितने सुकूनकी जगह है. सामने मन्दिर का सिर्फ गुम्ब द चमक रहा था। इतनी खामोशी थी चारों ओर कि लगता था कि इससे सुकून वाली कोई दूसरी जगह हो ही नही सकती. मैं चुपचाप खडी रही।

कुछ ही पल मे अचानक तेज हवा चलने लगी… धीरे- धीरे अंधेरा होने लगा, ऐसा लगा कि बस सूरज डूबने ही वाला है ….देखते ही देखते घने काले बादल छा गये, मैं चुपचाप देखती रही, मुझे पता ही नही चला कि कब मै कब किसी आलौकिक शक्ति मे बंध गई, ऐसा लगा कि किसने मेरे कदमों की ताकत छीन ली हो,  मुझे किसीने जकड लिया हो … मुझे घबराहट हो रही थी , मेरा गला सूख रहा था , मेरे मुंह से आवाज नही निकल रही थी,  मै अपने आपको असहाय महसूस कर रही थी, मै वहा से निकलना चाहती थी ।  मैंने बडी हिम्मत के साथ अपने आपको छुडाना चाहा और मै जोर से चीखी धीरे-धीरे मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। मुझे लगा मैं क्यों मरना चाहती हूँ। जिन्दागी तो इतनी सुन्देर है, इतनी शान्तथ है। जिंदगी की ऊपर की सतह मटमैली हो, मगर जिन्दीगी की तहों के नीचे गुलाब के बादलों का कारवाँ चलता रहता है। क्रूरता, कुरूपता के नीचे सौन्दगर्य है, प्रेम और सौन्दर्य, कुरूपता और क्रूरता खत्म कर देता है बस उसे देखने के लिए सहज आँख में नया सूरज होना चाहिए, ख्गहरी साँस लेकर, और धीरे-धीरे लगा कि जैसे मन की सारी कटुता, सारी निराशा, सारा अँधेरा, धुलता जा रहा है।

अभिनय क्या है ? 

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