ऑडिशन का मतलब है परीक्षा देना, एक कलाकार को किसी तरह की भूमिका पाने के लिए उस चरित्र के मन मुताबिक अपने अभिनय को प्रस्तुत करना ऑडिशन कहलाता है। ऑडिशन वह प्रक्रिया है जिसमें एक अभिनेता या अभिनेत्री को परखा जाता है कि उसने कितना टैलेंट है वह कितना अच्छा अभिनेता है उसकी अभिनय में कितनी डेफ्त् है और वह उस करैक्टर को निर्वाह करने में कितना सक्षम है। Male Monologue Urdu For Audition के माध्यम से आप अपने साक्षात्कार की तैयारी कर सकते हैं ।
धे शब्दों में यह समझा जाए कि ऑडिशन एक प्रकार से साक्षात्कार है जिस तरह से नौकरी पाने के लिए इंटरव्यू से गुजरना पड़ता है और खुद को साबित करना पड़ता है कि मैं इस काम के लिए सक्षम इसी प्रकार ऑडिशन में हमें साबित करना होता है कि हम उस चरित्र के लिए बिल्कुल सक्षम है
(थीब में शाही महल के सामने, सीढ़ियों पर और कुर्बानगाह के इर्द-गिर्द थीब के शहरी फरियाद करने की गर्ज से बैठे हैं। दरम्याने दरवाजे से इडिपस अपने ख़ादिमों के साथ दाखिल होता है।)
इडिपस :
अज़ीज़ो, खानदाने कैडमस की बेल पर, खिलनेवाले नये फूलो, इस फरियाद का मकसद क्या है? ये शाखें, ये फूलों के हार, ये शहर में फैला हुआ मुक़द्दस धुआँ, ये दुख-दर्द को दूर करनेवाली दुआएँ, ये कर्बा-ओ-यास की ग़म्माजी करने वाली चीखें किसलिए? किसी खबरसाँ पर यकीन न करते हुए, हम बजात-ए-खुद वजह दरयाफ्त करने के लिए आये हैं। हम—इडिपस-जिसके नाम का डंका, चहार आलम में बज रहा है।
(राहब की तरफ़ देखकर )
मोहतरिम बुजुर्ग ! आप ही बतायें ये माजरा क्या है ? किसी बात का डर है, या किसी चीज़ की ख्वाहिश है ? बिला ख़ौफ-ओख़तर बयान करें। हम संगदिल नहीं हैं । हम आपकी दरखास्त पर, ज़रूर गौर करेंगे।
इडिपस :
मेरे बच्चो! हम बहुत ग़मज़दा हैं। यकीन करो! हमें तुम्हारी तकलीफ़ात का खूब एहसास है। हमारी हालत भी कोई बेहतर नहीं ! आपके अपने ग़म हैं, अपनी फिकरें हैं, लेकिन हमें, अपने ग़मों और अपनी फिकरों के अलावा, आपकी फिकरों का वज़न भी उठाना पड़ता है। हम बेख़बर नहीं हैं। आपकी बहबूदी का ख़याल, हमें हर वक्त बेचैन किये रहता है।
हमने मैनोसियस के बेटे क्रियान को, अपोलो की ईथियन दरगाह की जानिब, रवाना किया है ताकि आपकी बहबूदी के कार-ए-नेक में, देवताओं के हुक्म की तामील भी हो । आज का दिन उसकी वापसी का दिन था, हमें तशवीश हो रही है, वो अभी तक क्यों नहीं आया? बहरहाल हम यक़ीन दिलाते हैं, देवताओं का जो भी हुक्म होगा, उस पर बिना तआम्मुल अमल किया जायेगा।
इडिपस :
अब हम तफ्तीश का आग़ाज़ करेंगे। और तमाम पोशीदा वाक़यात को, रोज़-ए-रौशन की मानिन्द मंज़र-ए-आम पर लायेंगे। अपने फ़र्ज़ की याद-दहानी के लिए, हम फीबस के शुक्रगुज़ार हैं और क्रियान, जिस जज्बे के तहत तुम मरहूम की जानिब, अपने फ़र्ज़ की अदायगी कर रहे हो, हम उसकी भी तारीफ़ करते हैं। हम इस मुल्क की बहबूदी के लिए, और देवताओं के हुक्म की तामील के लिए, कोई कसर उठा न रखेंगे। हम एक तीर से दो शिकार करेंगे। लायस के क़ातिल की गिरफ्तारी और अपनी ज़िन्दगी की हिफ़ाज़त ! वो दगाबाज़ क़ातिल, हमें भी, अपना निशाना बना सकता है। देवता निगहबान रहें, हम ऐसा नहीं होने देंगे।
उठो बच्चो! जाओ और अहल-ए-कैडमस को यहाँ लाओ। वो, कातिल की तलाश में, हमारी मदद करें। हमें यक़ीन है, कामयाबी या नाकामी, जो भी होगा, देवताओं की रज़ा से होगा।
(इडिपस अन्दर चला जाता है। प्याम्बर लोगों को बुलाने चला जाता है। राहब फरियादियों को जाने का इशारा करता है। थीब के मुअज्ज़ीन का कोरस दाखिल होता है।)
कोरस:
आज थीब में रोशनी के इस शहर में, देवताओं की मुक़द्दस आवाज सुनायी दी है। मेरे दिल में हौल उठ रहा है। मेरे एहसाब पर खौफ़ का असर छा रहा है। न जाने क्या होनेवाला है ? ऐ मुक़द्दस देवताओ ! अब क्या होगा? ऐ जिन्दा जावेद एथीना ! ऐ जीयस की नेक दुख्तर ! हम तुम्हें पुकार रहे हैं। ऐ इस सरज़मीन की मलिका आटिमस ! ऐ फीबस ! हमारे सरताज ! हमें, फिर अपनी ताकत दिखाओ ! हमें इस वबा के तबाहकुन असरात से, निजात दिलाओ। हमारी तकलीफ़ बयान से बाहर है। वबा भयानक साये की तरह, हमारी ज़िन्दगियों पर छा रही है और ज़िन्दगी की गर्मी आहिस्ता-आहिस्ता, मौत की . तारीक ठण्डक में बदलती जा रही है।
शहर के बाजारों में, मौत वहशियों की तरह नाच रही है। मासूम बच्चे, अधखिली कलियों की तरह, मसले जा रहे हैं। माएँ दिल मसोसकर रह जाती हैं लेकिन आँसू खुश्क हो गये हैं। ऐ मुकद्दस एथीना, हमारी फ़रियाद सुन ! ऐ अपोलो, हमारी पुकार सुन ! हमें इस मुसीबत से निजात दिला ! ऐ जीयस, उठने दे अब तूफ़ानों को, कड़कने दे बिजली को, और मार भगा मौत के इस भूत को ! ऐ, सुनहरी कमानवाली डाइसियान ! ऐ आर्टिमस ! ऐ बैकस ! ऐ मसर्रत के देवता ! आगे बढ़ो और अपनी रोशनी से, मौत के अँधेरों को, जला दो!
इडिपस :
देवताओं के हुजूर में, आपकी दुआएँ ज़रूर सुनी जायेंगी। लायस के क़ातिल को, कैफ़-ए-कर्दार तक पहुँचाने के लिए, आप मेरी मदद करें । मैं एक अजनबी हूँ। यहाँ के हालात का इल्म, लोगों की बातों तक ही, महदूद है। वो एक क़ातिल की गिरफ्तारी के लिए, काफ़ी नहीं है।
एक नये शहरी के नाते, मैं थीब के लोगों के सामने, ऐलान करता ₹ अगर कोई लेबडेकस के बेटे लायस के, कातिल हाथों को पहचानता है तो वो सामने आ जाये ! अगर किसी का जमीर गुनाह-आलूद है, वो अपने आपको, हमारे हवाले कर दे! उसे कोई सख्त सजा नहीं दी जायेगी। उसके जर्म की संगीनी को, नजरन्दाज करके, उसे जिलावत्न करने पर ही इकतफ़ा किया जायेगा। अगर किसी को, कातिल का इल्म हो तो वो हमें बता दे ! वो इनामओ-इकराम का मुस्तहक़ समझा जायेगा और तमाम मुल्क उसका शुक्रगुजार होगा। इडिपस : आप सब ख़ामोश हैं। लेकिन अगर कोई भी शख्स मुजरिम साबित हुआ या जुर्म की पर्दापोशी करते हुए पाया गया; चाहे शहंशाह हो या गदागर हम ऐलान करते हैं –हमारी दार-उल-सल्तनत में कोई भी शख्स, उसको पनाह नहीं देगा। उसके साथ किसी किस्म का ताल्लुक नहीं रखेगा। उस शख्स को, देवताओं की पूजा करने या कुर्बानी की रस्मों में शरीक होने की, इज़ाज़त नहीं होगी। इस तरह, हम देवताओं के हुक्म की तामील करेंगे और मरहूम की जानिब, अपना फ़र्ज अदा करेंगे। और हम देवताओं से दुआ करेंगे कि उस शर्मनाक क़ातिल और उसके साथियों की मौत, इन्तिहा ही अज़ीयतनाक़ हो। जो लोग अपना जुर्म कबूल करने से मुनकिर हैं-खुदा करे! ये ज़मीन उनके लिए वीराना बन जाय ! उनकी औरतें, बाँझ हो जायें और इस मौजूदा तबाही से, ख़ौफ़नाक तबाही उन पर नाज़िल हो! हम हैरान हैं, शहंशाह की मौत की तफतीश जैसे अहम मसले को, कैसे नज़रन्दाज़ किया गया? खैर, जो हुआ सो हुआ, अब उनकी जगह पर हम हैं। उनकी मलिका, हमारी शरीक-ए-हयात हैं और किस्मत की सितमज़रीफ़ी देखिए, जिस शख्स के साथ, बच्चों की पैदाइश की वजह से, हमारा खनी रिश्ता भी कायम हुआ, उसी पर, ये तबाही नाजिल हुई। लेबडेकस के बेटे, लायस के क़ातिल की तलाश, हम अपने वालिद मोहतरिम के क़ातिल की तलाश समझकर करेंगे।
इडिपस :
ओह क्या ये जरूरी है कि शाही खानदान के अफराद एक दूसरे से रसद करें? क्या हमारा बेहतरीन और काबिल-ए-एतमाद दोस्त फियान, हम पर छपकर वार कर रहा है? क्या वो इस आँख के पर और नाम के नैनसुख के साथ, साजिश में शरीक होकर, हमारे तख्त पर काबिज होना चाहता है ?
(टायरेसियस से) उस वक्त तुम्हारा इल्म-ए-नजूम तुम्हारी वो परिन्दों की परवाज से, तकदीरों का हाल बताने की कारगर्दी कहाँ थी? जब उस साहिरा की पहेलियों ने, सब पर आफ़त ढा रक्खी थी जब वो जादूगरनी, इस शहर के ऊपर मौत का साया बनकर छायी हुई थी, उस वक्त तुमने क्यों नहीं, उन अक्ल-ए-इन्सानी से वईद पहेलियों का हल बताया? क्यों इसलाफ़ ग़जाफ़ करनेवाली जुबान पर ताले पड़े हुए हैं ?
फिर हम आये हम इडिपस–नासमझ इडिपस ! हमने इल्म-एनजूम से नहीं-ना ही परिन्दों के पर गिनकर, बल्कि अपनी अक्ल से, उस पहेली का हल दरयाफ्त किया और तुम हमसे ही छुटकारा हासिल करना चाहते हो, ताकि शहंशाह क्रियान के मोतमिद खास कहला सको। लेकिन तुम्हें और इस साजिश के सरबराह को पछताना पड़ेगा काश! तुम बूढ़े न होते और हमारी सजा तुम्हें हालात की संगीनी से रूशनास करती!
टायरेसियस :
मैं तुम्हारी शहंशाही से इन्कार नहीं करता लेकिन खुदावन्द-ए-ताला के हुजूर में, हम दोनों बराबर हैं। मैं तुम्हारा गुलाम नहीं, ना ही क्रियान मेरा सरपरस्त है। मैं सिर्फ लोक्सिस का ख़िदमतगार हूँ। तुम मेरी नाबीनाई का मजाक उड़ाते हो, लेकिन तुम आँखें रखते हुए भी अपनी तबाही नहीं देख सकते। तुम्हारी आँखें हैं लेकिन तुम नहीं देखते कि तुम किसके साथ जिन्दगी गुजार रहे हो? सुनो ! मैं बताता हूँ, तुम गुनाहगार हो, तुम नहीं जानते ! तुम्हारे माँबाप की बददुआएँ दुधारी तलवार की तरह काम कर रही हैं। वो तुम्हें इस सरजमीन से उठाकर, बाहर फेकेंगी। ये रोशनी से चमकती हई आँखें अँधेरों में डूब जायेंगी। जब तुम अपनी पुरमुसर्रत अजदवाजी जिन्दगी के बारे में जानोगे और जब तुम्हें मालूम होगा कि जो बच्चे, आज तुम्हें अपना वालिद समझते हैं, तुम उनके क्या हो, उस वक्त तुम चीखोगे ! चिल्लाओगे ! लेकिन कोई तुम्हारी आवाज नहीं सुनेगा। तुम अभी इस तकलीफ का अन्दाज भी नहीं कर सकते। तुम आज मुझ पर और क्रियान पर इल्जाम लगा रहे हो, लेकिन याद रखो, एक दिन तुम तबाही और बर्बादी की अमीक़ गहराइयों में गिरोगे। इडिपस : तुम हमारी कुव्वत-ए-बर्दाश्त की हदों से बढ़ रहे हो। चले जाओ! दूर हो जाओ मेरी नज़रों से।
कोरस :
डेल्फ़ी की चट्टानों में बसनेवाले देवताओं के मुँह से, क़ातिल के लिए लानतें बरस रही हैं -कौन है वो शख्स ! तूफ़ानी घोड़ों पर बैठकर, इस जगह से फरार हो जाये, नहीं तो जीयस की नूरानी ताक़तें, इसको जलाकर खाक कर देंगी। बदकिस्मती उसको घेरे खड़ी है।
देवताओं की ऊँची और बर्फीली पहाड़ियों से, एक रूपोश इन्सान की तलाश का हुक्म आया है। लेकिन वो कहाँ है ? वो जंगलों की खाक छान रहा हो, या गारों में पनाह ले रहा हो, डेल्फ़ी से आनेवाली देवताओं की आवाजें, उसके कानों में गूंज रही हैं। टायरेसियस ने बहुत ही ख़ौफ़नाक बातें की हैं। उन पर यक़ीन करने को जी नहीं चाहता, लेकिन इन्कार भी कैसे करें? एक अँधेरे की दीवार दरम्यान में हासल है। क्या कभी लेबडेकस के ख़ानदान और पोलिबस के बेटे में झगड़ा हुआ था, जिसकी वजह से इडिपस का नाम, इस मौत के सिलसिले में लिया जा रहा है ?
खैर, जब तक जुर्म साबित नहीं होता, मैं किसी को मुजरिम मानने को तैयार नहीं। इडिपस ने माफूक-उल-फ़ितरत साहिरा का डटकर मुकाबिला किया। इस मुल्क को तबाही से बचाया तो मैं उसको कैसे बुरा समझू ? जिन्दगी के तमाम पोशीदा असरार जीयस और अपोलो ही जानते हैं।
राहब :
ऐ शहंशाह ! मेरे मालिक ! आज यहाँ बूढ़े, बच्चे और जवान सब जमा हैं। मैं जीयस का पुजारी, आपकी ख़िदमत में हाज़िर हूँ। हमारे अलावा और दूसरे लोग इसमेनस दरिया के किनारे और पैलास की कुर्बानगाह और मुक़द्दस दरगाहों के इर्द-गिर्द बैठे हैं। आप जानते हैं, हमारा शहर, मौत के ऐसे भँवर में फंस गया है, जिससे बच निकलने का, कोई रास्ता नज़र नहीं आता !
आज इस मल्क की ज़ रखेज मिट्टी पर, खलियानों पर और आनेवाली मासम ज़िन्दगियों पर, मौत का साया ग़ालिब है और बीमारी का भूत खानदाने-ए-कैडमस के महलों को, लोगों की चीख-ओ-पुकार से जहन्नुमजार बनाने पर तुला हुआ है। आज मैं और ये फरियादी, आपके हुजूर में इसलिए नहीं आये कि आप देवताओं के बराबर हैं, बल्कि इसलिए कि आप एक अज़ीम इन्सान हैं। हमको वो दिन भी याद है, जब आप इस शहर में अजनबी थे और यहाँ के हालात का आपको कोई इल्म न था। फिर भी आपने, उस माफूक-उल-फितरत साहिरा की पहेली बूझकर, उसका सहर तोड़ा था। हमें यक़ीन है, देवताओं की रजा से ही, आपने हमें ज़िन्दगी दी थी। ऐ अजीम इडिपस ! हमें फिर आपकी मदद की ज़रूरत है। गुजरे हुए वाक़ये की बिना पर, हम कह सकते हैं कि आप कोई-न-कोई तरकीब ज़रूर ढूंढ़ निकालेंगे। ऐ अशरफ़-उल इन्सान ! अब फिर हमें ज़िन्दगी वापिस दिला ! अपनी शोहरत का खयाल कर ! किसी को ये कहने का मौक़ा न दे कि तेरे अहद की खुशहाली, सिर्फ चन्द रोज़ के लिए थी। ऐ रहबरए-मुल्क ! एक बार फिर हमारी रहनुमाई कर ! ऐ शहंशाह !
ज़िन्दा इन्सानों का शहंशाह बन, वीरानों का नहीं !
One thought on “Male Monologue Urdu For Audition”